कार्लसन नें विश्व कप जीता , प्रज्ञानन्दा हारकर भी छा गए
विश्व कप 2023 का खिताब जीतकर कार्लसन नें आखिरकार वह उपलब्धि भी हासिल कर ली जो उनके अद्भुत और शानदार खेल जीवन में बाकी रह गयी थी , कार्लसन अब पाँच बार के विश्व चैम्पियन रहने के अलावा फीडे कैंडिडैट और फीडे विश्व कप जीतने वाले विश्वनाथन आनंद के बाद सिर्फ दूसरे खिलाड़ी बन गए है , हालांकि अगर इसमें विश्व रैपिड और ब्लिट्ज़ के खिताब को भी जोड़ दिया जाये तो कार्लसन पहले ऐसे खिलाड़ी बन गए जिन्होने सारे प्रतिष्ठित विश्व खिताब जीते है । बात प्रज्ञानन्दा की करे तो वह भले ही फाइनल मुक़ाबला हार गए और उपविजेता रहे पर कई मायनों में उन्होने बहुत कुछ हासिल किया , यह विश्व कप उनके खेल जीवन का अब तक का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुआ , प्रज्ञानन्दा पहली बार विश्व के शीर्ष 20 खिलाड़ियों में शामिल हो गए है साथ ही कैंडिडैट में उन्होने स्थान बनाकर वह उपलब्धि हासिल की है जिसका इंतजार आज भी विश्व के कई दिग्गज खिलाड़ी कर रहे है । यूएसए के फबियानों करूआना भी तीसरे स्थान पर रहे कैंडिडैट के लिए जगह बनाने में सफल रहे । पढे यह लेख Photo : Maria Emelianova Chesscom / Fide / Shahid Ahamad
कार्लसन बने विश्व शतरंज कप विजेता
बाकू , अजरबैजान विश्व के नंबर एक शतरंज खिलाड़ी और पाँच बार के विश्व चैम्पियन मैगनस कार्लसन नें आखिरकार भारत के 18 वर्षीय ग्रांड मास्टर आर प्रज्ञानन्दा को विश्व कप फाइनल के टाईब्रेक में पराजित करते हुए विश्व कप जीत लिया ।
अन्य खेलो से इतर शतरंज में विश्व चैंपियनशिप का रास्ता विश्व कप से होकर जाता है और कार्लसन पाँच बार विश्व चैम्पियन रहे पर कभी विश्व कप नहीं जीत सके थे और अंततः उन्होने यह खिताब जीतकर शतरंज के सभी प्रतिष्ठित खिताब जीतने के मामले में भारत के विश्वनाथन आनंद की बराबरी कर ली । अब कार्लसन और आनंद अकेले ऐसे खिलाड़ी है जिन्होने विश्व चैंपियनशिप ,विश्व कप और फीडे कैंडिडैट तीनों सबसे महत्त्वपूर्ण खिताब जीते है । भारत के प्रज्ञानन्दा नें यह मुक़ाबला हार कर भी इतिहास बना दिया और शतरंज इतिहास के सबसे कम उम्र के विश्व कप उपविजेता बन गए है साथ ही अब उन्होने फीडे कैंडिडैट में स्थान बना लिया है और ऐसा करने वाले वह भारत के सिर्फ दूसरे खिलाड़ी है ।
कार्लसन और प्रज्ञानन्दा के बीच दोनों क्लासिकल मैच ड्रॉ रहने से स्कोर 1-1 था और ऐसे में टाईब्रेक खेला गया । हालांकि विश्व कप में अपने शानदार खेल के चलते और कार्लसन से दो मैच ड्रॉ खेलने से विश्व रैंकिंग में प्रज्ञानन्दा को फायदा हुआ है और अब वह विश्व रैंकिंग में 9 स्थान सुधार करते हुए 2727 अंको के साथ पहली बार टॉप 20 में शामिल हो गए है ।
कहाँ हुई चूक – 25 मिनट के पहले टाईब्रेक में प्रज्ञानन्दा नें सफ़ेद मोहरो से इटेलिअन ओपनिंग में कार्लसन की और एक समय तक वह उसमें सफल होते हुए भी नजर आ रहे थे पर 14वीं चाल में उनके घोड़े की एक गलत चाल से कार्लसन नें खेल में बराबरी हासिल कर ली और इसके बाद 40 चालों तक खेल लगभग बराबरी पर था और ऐसे में जब प्रज्ञानन्दा के पास घड़ी में 18 सेकंड बाकी थे उन्होने जीतने के लिए अपना ए फ़ाइल का प्यादा कुर्बान करने का निर्णय लिया पर यह यह गलत चाल साबित हुई और उसके बाद कार्लसन नें अपने हाथी ओरु घोड़े से सटीक चाले चलते हुए प्रज्ञानन्दा के राजा को घेरकर खेल 47 चालों में जीत लिया ।
निर्णायक मुक़ाबले का हिन्दी विश्लेषण
“मैं बेहद थका हुआ हूँ पर बहुत खुश हूँ , मुझे लगता है की आज अनुभव की जीत हुई, प्रज्ञानन्दा बहुत अच्छा खेले पर पर वह इस टूर्नामेंट में कई लंबे मुक़ाबले खेल कर फाइनल पहुंचा थे और ऐसे में सर्वश्रेष्ठ करना आसान नहीं था “
“ मैं खुश हूँ की मैं फाइनल पहुंचा , कार्लसन के खिलाफ खेलना हमेशा मुश्किल होता है पर उनसे विश्व कप का फाइनल खेलना बड़ी बात है , मेरे पास पहले गेम में कुछ मौके जरूर थे पर कुल मिलाकर इस विश्व कप में मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूँ और मैं अब अगले वर्ष कैंडिडैट के बारे में सोच रहा हूँ “