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अलविदा दोस्त - शैलेश तुम ग्रांड मास्टर ही थे यार !!

by Niklesh Jain - 11/03/2018

तुम ग्रांड मास्टर ही थे शैलेश ! जीवन जीने की कला के ग्रांड मास्टर, अपने जीवन में कैसे अपनी क्षमताओं का सबसे बेहतर उपयोग करना, यह कोई तुम से सीखे ! तुमने अपने जीवन में जिन कठनाइयों का सामना किया और उसके बाद भी सम्मान हासिल किया ,तुमने जो मुकाम हासिल किया वह किसी भी सर्वश्रेष्ठ मानवीय उपलब्धि से कम नहीं है । तुम्हारा जाना मुझ जैसे ना जैसे कितने ऐसे लोगो के लिया एक बड़ा नुकसान है जो रोज अपने 100 प्रतिशत शारीरिक क्षमताओं के बाद भी साधारण सी उपलब्धि पर भी इतरा उठते है और छोटी सी मुश्किल से परेशान हो जाते है , तुम हमेशा प्रेरणा ना सिर्फ खुद महसूस करते थे बल्कि हमें भी प्रेरित करते है । मुझे याद है मेरे पहले हिन्दी लेख के बाद तुम्हारा संदेश जब तुमने मुझे हिन्दी में लेख लिखने के लिए खुशी व्यक्त की थी और उस एक संदेश नें मुझे हमेशा और लिखने के लिए प्रेरित किया ! ईश्वर तुम्हें अबकी बार एक सम्पूर्ण जीवन प्रदान करे ताकि मानवता को तुमसे एक नयी दिशा मिले ! बहुत याद आओगे ! अलविदा दोस्त । 

शैलेश नेरलीकर ( 21-05-1977- 10-03-2018 )

अपनी कर्मठता ,जज्बे और लगन के कारण हमेशा हम सबको प्रेरित करने वाले शैलेश नेरलीकर  अब इस दुनिया में नहीं रहे अपनी शारीरिक क्षमताओं के 100% तक उपलब्ध ना होने के बाद उन्होने अपने समूचे व्यक्तित्व और सकारात्मक सोच से दुनिया को जीवन का बेहतर उपयोग करने की संदेश देकर तुम चले गए दोस्त । शैलेश का जन्म एक साधारण परिवार में 21मई 1977 को हुआ था । डॉक्टर की गलती से वह एक ऐसी बीमारी का शिकार हुए की धीरे धीरे उनके शरीर के सारे अंग या तो प्रगति नहीं कर रहे थे या उन्होने काम करना बंद कर दिया । 

नन्हें शैलेश अन्य सभी बच्चो की तरह ही सामान्य पैदा हुए थे और उनके अभिभावको नें उनके लिए कई सपने देखे थे 

शुरुआती दौर में वह भी अपने भाई बहिनो के साथ खेला करते थे 

जैसे जैसे उनकी प्रतिभा अपना काम करने लगी उनकी बीमारी नें अभी असर दिखाना शुरू कर दिया 

पर उम्र के साथ शैलेश का हौसला हजार मुश्किलों के बाद भी बेहतर ही हुआ और शतरंज खेल में उन्होने अपने लिए एक मकसद ढूंढ निकाला और इस खेल का ग्रांड मास्टर बनने को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया । 

100 % शारीरिक तौर पर असक्षम शैलेश नें शतरंज में 1600 फीडे रेटिंग भी हासिल की क्या यह उनके लिए सचमुच ग्रांड मास्टर बनने जैसा प्रयास नहीं था ?

खुद सादगी की मिशाल मिसाइल मेन पूर्व राष्ट्रपति और शिक्षक स्वर्गीय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भी उनसे प्रभावित हुए और उन्हे सम्मानित किया था 

अपने सपनों को पूरा करने के प्रयास में शैलेश नें  जर्मनी के ड्रेसदन में जाकर विश्व दिव्याङ्ग में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया 

अपने परिवार के अपनी ताकत के साथ शैलेश !

उनके सपने पूरा करने में अगर किसी नें अपना पूरा जीवन कुर्बान कर दिया तो उनकी माँ श्रीमति सुनीता नेरलीकर भी वर्तमान समय में एक मिशाल है 

क्या जिये तुम दोस्त !!

दुनिया मैं हर ओर हम रोज हजारों उदाहरण देखते है जब सब कुछ होते हुए भी लोग मात्र छोटी मोटी परेशानियों से हार मानकर जीवन में रुक जाते है या जीवन जीने का साहस नहीं करते । शैलेश का जीवन हम सबके लिए एक मिशाल है जहां जीवन में अपने शरीर के 100% तक असक्षम होते हुए भी उन्होने अपनी कामयाबी की एक नई दास्तां लिखी । उनका साहस खुद को किसी भी लक्ष्य को हासिल करने लायक समझना ! उनका आत्मविश्वास , उनकी लगन सब एक मिशाल बन चुका है ! शैलेश भले ही आप शतरंज में ग्रांड मास्टर नहीं बने पर आप जीवन जीने की कला के तो ग्रांड मास्टर ही थे ।

शैलेश के संदेश !!

वैसे तो किसी के संदेश सार्वजनिक करना उचित नहीं पर चूंकि ये मेरे और आपके बीच के संदेश थे और वाकई मेरे लिए प्रेरक थे ,है ,और रहेंगे इस नाते इन्हे सार्वजनिक कर रहा हूँ दोस्त !

कार्लसन को विश्व चैम्पियन बनाने की संभावना व्यक्त करते शैलेश !

कभी दोस्ती निभाते और प्रेरित करते शैलेश !!

आनंद की हार पर दुखी होते शैलेश !!

माँ को फोन दिलाने की खुशी बांटते शैलेश ....

अलविदा दोस्त आप बहुत याद आओगे !!