चैसबेस और हिन्दी का सफर -2
2013 की विश्व चैंपियनशिप के बाद चैसबेस और हिन्दी के लेख अब कभी कभार इसकी अंतर्राष्ट्रीय वैबसाइट पर आने लगे थे इस दौरान विश्व शतरंज ओलम्पियाड में भारत नें कांस्य पदक जीतकर इतिहास बनाया तो इतिहास में हिन्दी और शतरंज के संबंध दर्शाता मेरा एक लेख प्रकाशित हुआ । फिर एक बार पुनः मौका मिला जब सोच्चि रूस में पुनः विश्व शतरंज चैंपियनशिप आनंद और कार्लसन के मध्य आरंभ हुआ लोग वही थे बस किरदार बदल गए थे । कार्लसन जहां विश्व विजेता थे तो आनंद कैंडिडैट जीतकर अबकी बार चैलेंजर की भूमिका में थे । आनंद भले ही इस बार फिर नहीं जीत पाये थे पर आनंद नें अपने जुझारूपन से दुनिया के हर शतरंज प्रेमी का मन जीत लिया था और सबको ये संदेश दे दिया था चाहे जो हो हमे प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिए !
चैसबेस और हिन्दी का सफर कैसे आरंभ हुआ इसके बारे में आप मेरे पहले लेख आनंद -कार्लसन -चैस बेस और हिन्दी का शतरंज सफर -1 में पढ़ चुके है । इस बार हम देखेंगे कैसे हिन्दी गवाह बनी आनंद और कार्लसन के बीच हुई दूसरी विश्व चैंपियनशिप का इस बार मुक़ाबला चेन्नई की जगह सोच्चि रूस में हो रहा था आनंद कैंडिडैट जीतकर यह साबित कर चुके थे की अभी उनका समय खत्म नहीं हुआ है और अब वह पहले से ज्यादा तैयार है और इस तरह पहला मुक़ाबला शुरू हुआ ।
पर इससे पहले चैस बेस पर प्रकाशित हुए हिन्दी में कुछ और लेख
इस दौरान एक नया प्रयोग शुरू हुआ वो ये की अब मैं जब भी कोई लेख चैस बेस इंटरनेशनल पर भेजता तो यह हिन्दी और अँग्रेजी दोनों भाषाओं में होता और इसका फायदा ये हुआ की अब विश्व चैंपियनशिप के अलावा भी हिन्दी में लेख आने लगे जिनमे से कुछ खास है
चतुरंग और शतरंज – शतरंज का जन्म भारत में चन्द्रगुप्त वंश के शासन के दौरान करीब (c. 280 - 550 CE) हुआ ऐसा प्रमाण मिलता है । शतरंज को चतुरंग शब्द से जाना जाता था जिसका मतलब एक प्रकार की चतुरंगनी सेना से था जिसका उल्लेख भारत के रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथो मे मिलता है । फारसी इसे भारत से अपने देश ले गए और वंही से ये यूरोप और अरब देशो में पहुँच गया । मुस्लिम इसे उत्तरी अमेरिका और स्पेन की और ले गए । लगभग 10वी शताब्दी के आस पास शतरंज अपने नए रूप में आना शुरू कर चुका था । पूरा लेख
29/08/2014 -कहते है जो बात पहली बार होती है उसके पहले वो कभी नहीं हुई होती है । भारतीय शतरंज टीम ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया जब उन्होने पिछले दिनो विश्व शतरंज ओलम्पियाड में भारत के लिए पहली बार कांस्य पदक जीता । भारत जो की इस खेल की जन्मभूमि है पहली बार विश्व शतरंज ओलम्पियाड में टीम की तरह कोई पदक जीत पाया। पूरा लेख
08/11/2014...
विश्व शतरंज चैंपियनशिप प्रारम्भ- राउंड 1 बराबर पर छूटा मुक़ाबला
एक बार फिर विश्व शतरंज का सिरमौर बनने की जंग शुरू हो चुकी है । खिलाड़ी लगातार दूसरी बार वही है पर बाजी अब चेन्नई भारत में नहीं सोची रूस में खेली जा रही है। पाँच बार के विश्व चैम्पियन भारत के विश्वनाथन आनंद जो पिछले वर्ष अपने खिताब को नहीं बचा पाये थे पिछले एक साल के अपने बेहतरीन प्रदर्शन के कारण मौजूदा विश्व चैम्पियन नार्वे के मेगनस कार्लसन को चुनौती दे रहे है । पूरा लेख ..
कुछ तकनीकी कारणो से मेरा लेख राउंड 2 में प्रकाशित नहीं हो चुका आनंद ये मैच हार गए थे और एक बार फिर वो आलोचको के निशाने पर थे ।
राउंड 2 भारत को झटका आनंद की बड़ी गलती कार्लसन जीते बनाई बढ़त
09/11/2014 विश्व शतरंज चैंपियनशिप के दूसरे राउंड में आज वो हुआ जिसका कार्लसन के प्रशंसक बेसब्री से इंतजार कर रहे थे और आनंद के प्रशंसक को जैसा होने की कतई उम्मीद नहीं थी । मौजूदा विश्व चैम्पियन कार्लसन ने दूसरे ही चक्र में भारत के विश्वनाथन आनंद को पराजित कर अपने मजबूत इरादे दर्शा दिये है । जंहा एक और आनंद के लिए आगे की डगर और मुश्किल हो गयी है तो कार्लसन के लिए यह बेहद आसान नजर आ रही है । हालांकि एक दूसरा पहलू ये भी है की शुरुआत की ये हार आनंद को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित भी कर सकती है और कार्लसन को असावधान खैर अब ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा की भविष्य के गर्त में क्या छुपा है ।
11/11/2014 राउंड 3 – आनंद की शानदार जीत के साथ बेहतरीन वापसी
भारत के लिए आज का दिन बहुत ही शानदार और अच्छी खबर ले कर आया हाँ जी हमारा टाइगर वापस आ गया है फिर वैसे ही । मद्रास टाइगर के नाम से प्रसिद्ध पाँच बार के विश्व विजेता भारत के विश्वनाथन आनंद ने वो कर दिखाया जो लगभग पूरी दुनिया ने सोचना ही बंद कर दिया था क्या शानदार समय था इस जीत का । जब उनके आलोचक उनका मज़ाक उड़ाने या उन्हे चुका हुआ घोषित करने में व्यस्त थे उन्होने मौजूदा विश्व विजेता कार्लसन को अपनी शानदार ओपेनिंग तैयारी और फिर उसके बेहतरीन नियंत्रण से बुरी तरह पराजित कर दुनिया को बता दिया की उनके पास शतरंज को देने को अभी बहुत कुछ बाकी है। पूरा लेख
और इस तरह आनंद ने पीछे होने के बाद भी जोरदार वापसी की और स्कोर 1.5-1.5 से बराबर कर दिया
[Site "Sochi RUS"]
[Date "2014.11.11"]
[Round "?"]
[White "Anand, V."]
[Black "Carlsen, M."]
[Result "1-0"]
[WhiteElo "2792"]
[BlackElo "2863"]
[PlyCount "67"]
[EventDate "2014.??.??"]
1. d4 Nf6 2. c4 e6 3. Nf3 d5 4. Nc3 Be7 5. Bf4 O-O 6. e3 Nbd7 7. c5 {This
style of the "Aronian Queen's Gambit" has become popular in recent years. In
the super-tournament in Moscow, Tashir, we have seen this position several
times.} c6 (7... Nh5 {was Black's favorite in the Tashir tournament.}) 8. Bd3
b6 9. b4 a5 10. a3 {White's expansion on the queenside looks scary, but if
Black can neutralize it, open the a-file and trade off his light-squared
bishop (which is often useless), then he can hold comfortably. Of course,
doing this takes a long time.} Ba6 11. Bxa6 Rxa6 12. b5 $1 {All of this is
well-known theory.} cxb5 13. c6 Qc8 14. c7 b4 15. Nb5 a4 16. Rc1 Ne4 17. Ng5 {
Taking twice on g5 is impossible, but taking once might be necessary.} Ndf6 (
17... Bxg5 18. Bxg5 Ra5 (18... Nxg5 $4 19. Nd6 $18 {rips apart the blockade
and wins the queen.}) 19. Be7 $5 Re8 (19... Rxb5 20. Bxf8 Kxf8 21. Qxa4 Ra5 22.
Qxb4+ {is unclear. The passed pawn on c7 does compensate for Black's material
advantage of having two knights against a rook.} Ke8 $1 $13) 20. Bxb4 Rxb5 21.
Qxa4 $14 {and the rook on b5 is trapped. This must favor White as Black's rook
on e8 is very passive.}) 18. Nxe4 Nxe4 19. f3 Ra5 20. fxe4 {Even though both
players took a long time to get here (about an hour and a half to get to this
position between the both of them) only 20.fxe4! is a novelty.} (20. Qe2 Qd7
21. fxe4 Rc8 $1 $15 {Aronian-Adams, 2013. Vishy must have taken a fresh look
at this game.}) 20... Rxb5 21. Qxa4 Ra5 22. Qc6 bxa3 23. exd5 Rxd5 24. Qxb6 {
A fascinating position. Material is equal, but White's position is clearly
preferable. The a-pawn is not as dangerous as the c-pawn, which needs to be
blockaded immediately.} Qd7 25. O-O (25. Qa6 {The computers again and again
were screaming for this move but it's consequences are not always clear.})
25... Rc8 (25... g5 26. Qb8 $1 Rc8 27. Qxc8+ Qxc8 28. Rb1 $16) 26. Rc6 {
Interestingly, this exact position was seen in the game Tomashevsky, Evgeny -
Riazantsev, Alexander from the 2008 Russian Super Final. However, in that
game White's pawn was on h3, and not on h2! Tomashevsky won cleanly.} g5 {
Black is running out of resources. He has to devote too much time to stopping
the c-pawn and this means his a-pawn is not playing.} 27. Bg3 Bb4 28. Ra1 $1 {
An excellent move. There is no way to rip through the blockade immediately, so
Anand adds pressure on the a-pawn.} Ba5 29. Qa6 $1 {Keeping an eye on the
a-pawn and especially the bishop on a5.} Bxc7 30. Qc4 $1 {The pressure on the
bishop is huge. This will cost Carlsen a piece. At this point he also had very
little time left on the clock.} (30. Rxa3 {was also strong as the bishop is
pinned.}) 30... e5 31. Bxe5 Rxe5 32. dxe5 {As Svidler pointed out, Black has
excellent chances to draw this game if he can break the pin and put pressure
on White's weak pawns. But that, simply put, is not going to happen!} Qe7 33.
e6 $1 {The easiest. Now Black's king is also a factor. There is no way to
dismantle the pin and Black's position is simply resignable.} Kf8 34. Rc1 {
And it is over! Anand does it! Excellent preparation by the Indian player,
followed by precise and surgical play leading to a clear and convincing win.}
1-0
ये पिछले एक लंबे अर्से में आनंद की कार्लसन पर जीत थी इसीलिए इसके मायने कुछ अलग थे । कार्लसन से चेन्नई में हारने के बाद कैंडिडैट जीतना ,फिर विश्व चैंपियनशिप में दूसरा राउंड हारने के बाद कार्लसन को हराना ये आनंद जैसे महान खिलाड़ी ही कर सकते थे ।
इसके बाद
12/11/2014 - राउंड 4 –आनंद ने काले मोहरो से कार्लसन को ड्रॉ खेलने पर किया मजबूर ,ली मनोवैज्ञानिक बढ़त !
14/11/2014 - राउंड 5 -कुछ कारण वश राउंड 5 का लेख भी प्रकाशित नहीं हुआ यह मैच बराबरी पर छूटा
15/11/2014 -विश्व चैंपियनशिप राउंड 6 – आनंद ने जीती बाजी गवाईं कार्लसन को 3.5-2.5 से बढ़त
विश्व शतरंज चैंपियनशिप के राउंड 6 मे जो हुआ उसे अगर सीधे सीधे यह कहा जा सकता है की आज का दिन आनंद की खिताब को वापस पाने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो सकता था पर आनंद ने 26 चाल में कार्लसन की भूल को बिना ध्यान दिये तेजी से a4 चलते हुए एतिहासिक बन सकती चाल Ne5 घोड़े से कार्लसन की e5 पैदल ना मारने की भारी भूल कर दी। पूरा लेख
17/11/2014 -राउंड 7 – आनंद का शानदार बचाव , पर कार्लसन की बढ़त बरकरार 4-3 से आंगे
आज तो विश्व चैंपियनशिप के सबसे रोमांचक मैच की उम्मीद थी और ऐसा हुआ भी एक अनिर्णीत मैच भी कितना रोमांचक हो सकता है आज एक बार फिर देखने को मिला । 122 चालो तक तकनीक , रक्षात्मक खेल ,और साथ ही साथ जीतने की हरसंभव प्रयास का अविस्मरणीय नमूना था आज का मैच , एक और जंहा आनंद ने पिछले मैच की गल्ती से उबरकर अपने जबरजस्त रक्षात्मक खेल से खेल को बराबर पर रोक लिया वंही कार्लसन के झुझारूपन ने सभी का मन एक बार फिर मोह लिया ।पूरा लेख
कल के मैराथन 122 चालो के मुक़ाबले के बाद मुझे तो आज ऐसा लग रहा था की आज के दिन विश्राम जरूर मिलना चाहिए पर जैसा की पूर्व निर्ध्रारित कार्यक्र्म है आज विश्व शतरंज चैंपियनशिप का आठवाँ मैच था । आनंद सफ़ेद मोहरो से खेल रहे थे तो उम्मीद भी थी की वो आज जीतने की पूरी कोशिश करेंगे । उन्होने खेल की शुरुआत वजीर की पैदल दो घर चलकर की कार्लसन ने अपने राजा की तरफ के घोड़े को बाहर निकालकर जबाब दिया ।
पिछली विश्व चैंपियनशिप में नवां मैच जंहा सबसे रोमांचक मैच साबित हुआ था उसके विपरीत आज का मैच अब तक का सबसे जल्द खत्म होने वाला मैच साबित हो गया । दर्शको के लिए आज का मैच निराशा लेकर आया और सिर्फ 20 चालों में ड्रॉ हो गया और विश्व चैंपियनशिप का सबसे कम चालों का मैच साबित हुआ। पूरा लेख
21/11/2014-रोमांचकारी मैच – दसवीं बाजी फिर ड्रॉ कार्लसन 5.5-4.5 से आगें
विश्व शतरंज चैंपियनशिप में आज का दिन रोमांचकारी साबित हुआ आनंद सफ़ेद मोहरो से खेल रहे थे और हर हालत में जीतने की जरूरत के मौके पर आज उन्होने गुर्न्फील्ड ओपनिंग में कार्लसन को थोड़ा चौंकाते हुए अपने वजीर के इस्तेमाल से एक पैदल d5 खाने तक पहुंचा दी और फिर कुछ देर के लिए ऐसा लगा की वो शायद आज एक और जीत की तरफ जा सकते है ।पूरा लेख
और फिर आया 11 वां मुक़ाबला आनंद खिताब वापस नहीं प सके थे और कार्लसन फिर विश्व विजेता बन गए थे
प्रेस के लोगो नें पूछा क्या अब आप सन्यास लेने जा रहे है आनंद नें जबाब दिया - जी नहीं !
23/11/2014 - कार्लसन जीते !! फिर बने विश्व शतरंज विजेता !!
मुझे आज समझ नहीं आ रहा की किस तरह इस मैच के बारे में आपको बताऊँ । सबसे पहले तो युवा मेगनस कार्लसन को पुनः विश्व विजेता बनने के लिए बहुत बहुत बधाई । वो शायद पहले ऐसे विश्व विजेता जो अपने खेल से सामने वाले को परास्त नहीं करते बल्कि अपने असाधारण अचूक खेल से सामने वाले को कोई मौका ही नहीं देते उन्हे परास्त करने का और फिर सामने वाला खुद ही गल्तियाँ करना शुरू करता है और कार्लसन मशीनों की तरह उसकी गलती को उसे दंड दे देते है । पूरा लेख
आपका दोस्त
निकलेश जैन