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विश्व जूनियर - आर्यन को स्वर्ण ,अरविंद को कांस्य पदक

by Niklesh Jain - 29/11/2017

तर्विसियों ,इटली में सम्पन्न हुई विश्व जूनियर स्पर्धा नें नौ साल बाद एक बार फिर इतिहास को दोहराया और नॉर्वे के आर्यन तारी के विश्व विजेता बनते ही ऐसा दूसरी बार हुआ जब मौजूदा विश्व चैम्पियन और विश्व जूनियर चैम्पियन एक ही देश से है । देखा जाए तो आर्यन इस खिताब के दावेदार भी थे और एक बार बढ़त बनाने के बाद उनके खेल में निरंतरता बनी रही और उन्होने दबाव के क्षणो में संतुलित सोच और समझ का परिचय दिया । भारत के प्रग्गानंधा अंतिम राउंड जीतकर खिताब पर कब्जा जमा सकते थे पर शायद समय के गर्त में अभी कुछ और छुपा हुआ है जो भी हो सही मायनों में इस विश्व चैंपियनशिप नें उन्हे एक परिपक्वता तो दी ही है । अरविंद के बारे में क्या कहे जिस अंदाज में पहला मैच हारकर उन्होने वापसी की और अंतिम तीन मैच में सीधी जीत से कांस्य पदक जीत लिया वह उनकी असीम प्रतिभा का परिचायक है । मुरली कार्तिकेयन भी शीर्ष  10 में जगह बनाने में कामयाब रहे । पढे यह लेख 

 नॉर्वे के आर्यन को स्वर्ण , अर्मेनिया के पेट्रोसियन को रजत और भारत के अरविंद चिताम्बरम को कांस्य पदक हासिल हुआ ( Photo: Jamie Kenmure )

अगर शीर्ष 10 की बात करे तो भारत का दबदबा साफ दिखाई देता है भारत के अलावा रूस के भी तीन खिलाड़ी शीर्ष 10 मे शामिल रहे 

आर्यन पूरी प्रतियोगिता में अविजित रहे और 6 जीत और 5 ड्रॉ के साथ विश्व खिताब अपने नाम किया , विश्व चैम्पियन मेगनस कार्लसन नें भी उन्हे शुभकामनाए दी !

 

अर्मेनिया के पेट्रोसियन मेनुएल नें अंतिम राउंड मे खिताब के तगड़े दावेदार रूस के अलेक्सींकों किरिल्ल  को पराजित करते हुए 8.5 अंक बनाकर दूसरा स्थान हासिल किया 

भारत के अरविंद चितांबरम विश्व जूनियर स्पर्धा मे सीधे नेशनल प्रीमियर खेल कर पहुंचे थे जहां वह खिताब से चूक गए थे और अंतिम राउंड में देबाशीष दास से पराजित हो गए थे विश्व चैंपियनशिप के पहले ही राउंड में उन्हे  आश्चर्यजनक तौर पर 81वी वरीयता प्राप्त सर्बिया के फीडे मास्टर दिमिक पावले से हार का सामना करना पड़ा ऐसा लगा की वह मुश्किलों से घिर गए है , हाँ वह मुश्किलों में थे तो पर उनसे बाहर निकलने का रास्ता वह जानते है वह उन्होने इस चैंपियनशिप से साबित कर दिया उन्होने दिखा दिया की वह दबाव के क्षणो में और निखर कर सामने आने की कला जानते है । शीर्ष तीन मे स्थान बनाते हुए अरविंद नें भारत का सम्मान स्थापित किया

प्रग्गानंधा के बारे मे विश्वानाथन आनंद नें जो कहा वह बड़ी बात है 

 

अगर कोई सही मायनों में इस विश्व चैंपियनशिप का सबसे बड़ा सितारा रहा तो वह थे भारत के 12 वर्षीय प्रग्गानंधा जिन्होने दिखाया की वह आने वाले समय में विश्व शतरंज जगत में अपना जादू बिखेरेने के लिए तैयार है । अंतिम दो राउंड में वह जीतकर विश्व खिताब तो हासिल कर ही सकते थे और दुनिया के सबसे कम उम्र के ग्रांड मास्टर का खिताब भी अपने नाम कर कर सकते थे खैर उन्होने भले ही यह खिताब नहीं जीता पर अविजित रहते हुए उन्होने 8 अंक के साथ चौंथा स्थान हासिल कर भारत को गौरान्वित किया और अभी कर्जकिन का विश्व रिकॉर्ड तोड़ने के लिए उनके पास कुछ माह का समय शेष है  और हो सकता है यह कारनामा वह जल्द ही कर दिखाये ! वह फिलहाल अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर 2535 अंक पर जा पहुंचे है । 

पाँच बार के विश्व विजेता विश्वनाथन आनंद नें भी अपनी खुशी सोशल मीडिया पर जाहिर की 

दो बार के राष्ट्रीय विजेता मुरली कार्तिकेयन को अंतिम राउंड के पूर्व मिली हार नें  पदक की दौड़ से बाहर कर दिया पर शीर्ष 10 मे वह स्थान बनाने मे कामयाब रहे । 

बालिका वर्ग मे भारत से कोई भी खिलाड़ी शीर्ष 10 मे स्थान नहीं बना सका और आकांक्षा हागवाने 11वे स्थान पर रही 

 

 


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