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ग्रांड स्विस चैम्पियन वैशाली : खास इंटरव्यू

by Niklesh Jain - 16/11/2023

भारत की महिला शतरंज खिलाड़ी आर वैशाली अब सिर्फ ग्रांड मास्टर आर प्रज्ञानन्दा की बहन बस नहीं है , वो खुद अब शतरंज ग्रांड मास्टर बनने के बेहद करीब है साथ ही फीडे ग्रांड स्विस जीतकर उन्होने महिला विश्व चैम्पियन बनने की ओर कदम बढ़ाते हुए फीडे कैंडिडैट मे स्थान बना लिया है , वैशाली ऐसा करने वाली कोनरु हम्पी के बाद दूसरी खिलाड़ी है । वैशाली नें गत वर्ष फीडे शतरंज ओलंपियाड में भी पदक जीता था । अभी अभी सम्पन्न हुई फीडे ग्रांड स्विस में वैशाली अपराजित रही और इस दौरान उन्होने तीन पूर्व विश्व चैम्पियन को पराजित करते हुए विश्व रैंकिंग में भी बड़ी छलांग लगाई है , विश्व टॉप 10 में दस्तक दे रही 22 वर्षीय आर वैशाली नें चेसबेस इंडिया और पंजाब केसरी से सयुंक्त रूप से बात की । पढे यह लेख  📸 Photo : Anna Shtourman

"रैंकिंग सुधारना और अब विश्व चैंपियनशिप में जगह बनाना अगला लक्ष्य" - वैशाली 

वैशाली ने यह इंटरव्यू हिन्दी चेसबेस इंडिया के प्रमुख निकलेश जैन को दिया 

 

1. सबसे पहला सवाल की आपको कैसा लग रहा है फीडे ग्रांड स्विस चैम्पियन बनकर ?

वैशाली - यह बहुत अच्छा एहसास है , यह दुनिया के सबसे कड़े टूर्नामेंट में से एक था दुनिया के शीर्ष 50 के अधिकतर खिलाड़ी यहाँ पर खेल रही थी , इस टूर्नामेंट के ठीक पहले मैंने कतर मास्टर्स में अपना आखिरी ग्रांड मास्टर्स नार्म किया था और मैं अपने खेल के बारे आत्मविश्वास से भरी हुई थी पर हाँ मैंने इस तरह की जीत के बारे में नहीं उम्मीद की थी , इस तरह का टूर्नामेंट का जीतना बड़ी बात है । 


2. इस टूर्नामेंट में आपके अंदर सबसे बड़ा बदलाव क्या महसूस किया आपने ?

वैशाली – मैं बस अपने खेल का आनंद उठा रही थी , कतर मास्टर्स में भी मैंने ऐसा किया था , उससे पहले एशियन गेम्स में भी मैंने अच्छा खेला पर एक निर्णायक मुक़ाबला हार गयी थी पर हाँ पिछले दोनों टूर्नामेंट मैंने खेल का आनंद उठाते हुए खेले है और इसने काम किया है । 

3. आपके भाई प्रज्ञानन्दा भी कैंडिडैट में जगह बना चुके है और अब अपने ये कारनामा किया है , दुनिया का एकमात्र ऐसा परिवार होना आपके लिए ये कितनी बड़ी बात है ?

वैशाली – यह बहुत ही खास है , अगर कोई हमसे पिछले साल कहता की आप दोनों कैंडिडैट में जगह बना लेंगे तो हमारे लिए यह आश्चर्य की बात होती , हम दोनों मेहनत करेंगे और कैंडिडैट में अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करेंगे । इस बार महिला और पुरुष वर्ग दोनों कैंडिडैट एक साथ एक स्थान पर एक समय में होंगे तो एक मंच पर खेलना एक बड़ा क्षण होगा । 

4. इस टूर्नामेंट में आपको कब ऐसा लगा की आप ये खिताब जीत सकती है ?

वैशाली – पता नहीं , मैं बस इस दौरान कुछ अच्छे मुक़ाबले खेल रही थी , इस दौरान एक मुक़ाबले में जीत से चूक भी गयी थी , हाँ दसवें राउंड में तान ज़्होंगाई ( चीन ) के खिलाफ जीत खास रही मैंने अंतिम राउंड के पहले खिताब जीतने के बारे में नहीं सोचा था 

5. जब आप अच्छा खेल रही थी प्रज्ञानन्दा भी बहुत खुश थे , उनसे किस तरह की मदद मिलती है प्रतियोगिता के दौरान ?

वैशाली – वो मेरे लिए सबसे बड़ा सहयोगी है ,पिछले कुछ टूर्नामेंट से मुझे वह ओपनिंग की तैयारी में बहुत मदद करता है और इससे बहुत कुछ बदला है मेरा खेल के प्रति नजरिया और परिणाम भी , मैं उसकी बहुत आभारी हूँ , जैसे ही मैच की पेयरिंग आती है हम उसके बारे में बात करते थे , वो खुद भी खेल रहा था पर बह मुझे जीतते हुए देखना चाहता था । 

6. अब एक खिलाड़ी के तौर पर आपकी खुद से क्या उम्मीद है , क्या लक्ष्य वही है ये आपने कुछ बदलाव किए है ?

वैशाली – मैं सबसे पहले ग्रांड मास्टर टाइटल पूरा करना चाहती हूँ जो मैं अंतिम मैच में पूरा करने से चूक गयी , और अब विश्व चैंपियनशिप खेलने का लक्ष्य है तो मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करूंगी । वर्तमान मैं विश्व नंबर 12 के आसपास हूँ तो मैं अपनी रैंकिंग को भी सुधारने की कोशिश करूंगी । 

7. आप हर दिन कितनी देर तैयारी करती है ? और जब शतरंज नहीं करती तो क्या करना पसंद करती है ?

वैशाली – बहुत सारी बातों पर निर्भर करता है , सामान्य तौर पर मैं 5 -6 घंटे तैयारी करती हूँ और जब ट्रेनिंग नहीं करती तो भी मतलब आराम करना हो तो भी मैं ब्लिट्ज और बुलेट खेलतीं हूँ । 

8. इस टूर्नामेंट का सबसे महत्वपूर्ण खेल कौन सा रहा आपके लिए ? 

वैशाली – तान ज़्होंगाई के खिलाफ जीत खास थी 

9 – आपकी जीत भारत के लिए अकेली नहीं आई पुरुष वर्ग में भी विदित गुजराती नें जीतकर इतिहास रचा , तो जब आपको विदित की जीत के बारे में पता लगा तो कैसा माहौल था ? वैशाली – यह महान एहसास था , सबसे पहले मैं अपनी जीत का आनंद उठा ही रही थी क्यूंकी लंबे समय बाद मैंने कोई बड़ा टूर्नामेंट जीता था की कुछ ही क्षणो के बाद हम टूर्नामेंट हाल गए तो उनकी जीत के बारे में पता लगा , यह बेहद ही खास बात है दो भारतीयों नें दोनों वर्गो के खिताब जीते , वह महान क्षण था जब हमने भारतीय तिरंगे को एक साथ थामा हुआ था , इसे शब्दो में बताना मुश्किल है , वहाँ मौजूद सभी भारतीय खुशियाँ मना रहे थे

वैशाली का इंटरव्यू आज पंजाब केसरी अखबार के सभी राज्यो के संस्करण में भी प्रकाशित हुआ



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