पुलवामा हमला - शहीदों को अश्रुपूरित श्रद्धांजली
कभी कभी जीवन में कुछ ऐसे पल आते है जब आपको कुछ भी नहीं सूझता ,गुस्सा ,तनाव जैसी भावनाए सहानुभूति ,मर्यादा और संयम जैसे भारी भरकम शब्दो को कंही पीछे धकेलकर दौड़ कर निकल जाना चाहते है । आज शतरंज के इस मंच पर मैं अपने आपको पुलवामा में हुए कायरता पूर्ण आतंकवादी हमलें के बारे में लिखने से रोक नहीं पाया । कल 14 फरवरी को जब दुनिया प्रेम के संदेश आपस में बाँट रही थी कुछ सिरफिरे लोगो नें जाने किसके नाम पर तकरीबन आधा सैंकड़ा हँसती खेलती जिंदगियाँ लील ली । भारत के सीआरपीएफ़ के जवान अपनी छुट्टियाँ बिता कर वापस लौट रहे थे अपने परिवारों से मिलकर वापस आ रहे थे और श्रीनगर जाते वक्त उनके साथ यह हादसा हो गया । एक भयानक विस्फोट में उनके जिस्म के परखच्चे उड़ गए । दरअसल इस लेख को लिखने का मकसद है बुद्धिमान लोगो की श्रेणी में आने वाले शतरंज खिलाड़ियों को इस बात का एहसास कराना की एक बेहतर कल के निर्माण में हमें और आपको हाथ बटाना होगा ।
कहते है शतरंज खेल की शुरुआत ही शांति के उद्देश्य को लेकर हुई है और आज भी शतरंज के प्यादे दरअसल देश की सुरक्षा में सबसे आगे खड़े सैनिक का प्रतिनिधित्व करते है । वही प्यादा जो खुद को कुर्बान करके सबको सुरक्षित रखता है । ठीक वैसे ही देश का सैनिक हमें सुरक्षित रखने के लिए अपने प्राणो की कुर्बानी दे देता है ।
खैर शतरंज के खेल में प्यादा अपनी जान देने के बाद बॉक्स में वापस चला जाता है और फिर अगले मैच में वापस आ जाता है पर
असल जीवन में अपने जीवन को कुर्बान करने वाला सैनिक वापस नहीं लौटता । उसके अपने जीवन भर उसका रास्ता देखते है पर वह वापस नहीं लौटता ।
खैर शतरंज के खेल में हर सैनिक को पूरा मौका मिलता है सामने से लड़कर अपनी कुर्बानी देने का या कुछ हासिल करने का पर बिना कोई मौका दिये ही उसे खेल से बाहर कर देना खेल के नियमों के खिलाफ है और ऐसा संभव नहीं है .....
पर असल ज़िंदगी में ऐसा नहीं है । पुलवामा में भारत के वीर सिपाही बिना कोई मौका दिये ही बर्बर तरीके से जीवन के इस शतरंजी खेल से बाहर कर दिये गए...
सियासत अपना काम करेगी हम भी तो कुछ करना सीखे !!
भारत के माननीय प्रधान मंत्री और विपक्ष कांग्रेस के नेता सब एक साथ नजर आए शतरंज मे यह संभव नहीं पर असल जीवन मे यह संभव है और बस यही असल जीवन शतरंज के खेल से बेहतर है ! दुख की इस घड़ी मे देश एकजुट है और यही भारत की ताकत है । ऐसे मे सियासत को जो करना है वह करेगी एक आम नागरिक के भी कुछ कर्तव्य होते है जो उसे करना चाहिए !
क्या कर सकता है शतरंज परिवार !
शतरंज भारत के उन खेलो में से एक है जो सबसे तेजी से बढ़ रहा है और जैसा की विश्व चैम्पियन विश्वानाथन आनंद भी मानते है की यह खेल देश को और दुनिया को अच्छे नागरिक देने की क्षमता देता है । ऐसे में इस खेल को जितना हो सके हमें आगे ले जाने की आवश्यकता है ।
एक शतरंज खिलाड़ी क्या सहयोग कर सकता है अपने सुझाव हमें chessbaseindiahindi@gmail.com पर भेजे और हम उसे प्रकाशित करेंगे