chessbase india logo

14 साल के लियॉन मेदोंसा बने भारत के 67वे ग्रांड मास्टर

by Niklesh Jain - 05/01/2021

भारत को उसका 67वां ग्रांड मास्टर मिल चुका है और यह कारनामा उसी खिलाड़ी नें किया है जिससे की यह अपेक्षित था ,जी हाँ कोविड आने के बाद से ही यूरोप मे रहने को मजबूर हुए भारत  के लियॉन मेन्दोंसा नें अपने पिता के साथ इस आपदा को अवसर मे बदल दिया और इंटरनेशनल मास्टर बनकर भारत से गया यह युवा खिलाड़ी अब इतिहास मे नाम दर्ज कराते हुए 14 वर्ष की आयु मे ग्रांड मास्टर बन गया है । बेशक उन्होने सबसे कम उम्र मे ग्रांड मास्टर बनने का कोई रेकॉर्ड ना बनाया हो पर उनकी खेल के प्रति समर्पण ओर लगाव से वह जल्द ही अपने समकक्ष खिलाड़ियों की दूरी को पाट देंगे ऐसा साफ नजर आता है । पढे यह लेख और जाने उन्होने कब हासिल किया अपना ग्रांड मास्टर का खिताब 

नववर्ष की पूर्व संध्या पर भारतीय खेल जगत को एक शानदार खबर मिली है भारत के गोवा के रहने वाले 14 वर्षीय लियॉन मेन्दोंसा भारत के शतरंज इतिहास के 67वें ग्रैंडमास्टर बन गए है । इटली में तीसरा और आखिरी नॉर्म हासिल करने के बाद भारत के 67वें ग्रैंडमास्टर बन गए । लियॉन ने 14 वर्ष और नौ माह और 17 दिन में यह उपलब्धि हासिल की है । उन्होंने पहला ग्रैंडमास्टर नॉर्म इसी वर्ष अक्टूबर में रिजो इंटरनेशनल में हासिल किया था । वहीं नवंबर में हंगरी के बुडापेस्ट में दूसरा

और अब इटली में वेरजानी कप में तीसरा नॉर्म पाया । इसके अलावा ग्रांड मास्टर बनने के लिए जरूरी 2500 फीडे रेटिंग वह पहले ही हासिल कर चुके थे ।

इटली में टूर्नामेंट में वह उक्रेन के विताली बर्नाडस्की के बाद दूसरे स्थान पर रहे । लियॉन और उनके पिता लिंडोन कोरोना महामारी के बाद लॉकडाउन के कारण मार्च में यूरोप में ही फंस गए थे । उन्होंने इस दौरान कई टूर्नामेंटों में भाग लिया और ग्रैंडमास्टर बनने के करीब पहुंचे ।

लियॉन ने मार्च से दिसंबर तक 16 टूर्नामेंट खेले और उनकी ईएलओ रेटिंग 2452 से बढकर 2544 हो गई ।

लियॉन ने कहा मैं बहुत खुश हूं । इसके लिये काफी मेहनत की है । मैं अपने माता पिता कोच ग्रांडमास्टर विष्णु प्रसन्ना और प्रायोजकों को धन्यवाद देता हूं ।