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भारत का योगेश ! एक लड़का है दीवाना सा !

by निकलेश जैन - 12/02/2017

कभी कभी लोग कुछ ऐसा करते है जिसकी कीमत आंकना भी असंभव होता है । 21 वर्ष की उम्र में आप शायद पढ़ाई में डूबकर अपने भविष्य में जोखिम उठाने से बचने की तैयारी करेंगे या फिर भविष्य में कुछ बड़ा करने का सपना लिए दुनिया देखने की उम्मीद पालेंगे पर भारतीय शतरंज के लिहाज से आपको ये भी सुनने मिल जाएगा अगर आप इस उम्र तक आते आते अगर आप ग्रांड मास्टर नहीं बने तो फिर खेलने का क्या मतलब ? खैर इन सबसे अलग मिलिये योगेश गौतम से जो विश्व में भारत का प्रतिनिधित्व कर कई खिताब भी जीत चुके है पर अचानक उन्होने अपने खेल को विराम देकर इसे भारत के कोने कोने में पहुंचाने की ठानी है सुनने में थोड़ा अजीब लगा ना , महान कार्य ऐसे ही होते है ,हर किसी के बस के नहीं होते । योगेश जो कर रहे है वह उन्हे वाकई इस खेल का एक सच्चा प्रतिनिधि साबित करता है साथ ही एक शानदार इंसान भी पढे यह लेख और जुड़े योगेश के इस अनोखे मिशन से ..

भारत में ही जन्मे और विश्व भर में मुख्य बौद्धिक खेल के तौर पर अपनी पहचान रखने वाले शतरंज खेल के अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी भिवानी ,हरयाणा के योगेश गौतम इस खेल के प्रचार प्रसार करने के उद्देश्य को लेकर और साथ ही साथ देश भर को एकजुटता का संदेश देने के लिए पिछले 5 अक्टूबर से कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक पूरे भारत में शतरंज के गुर बच्चो को निःशुल्क सीखने के लिए अपनी यात्रा में निकाल चुके है योगेश अमेरिका सहित दुनिया के लगभग 30 देशो में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके है और अमेरिका का प्रसिद्ध वर्ल्ड इंटरनेशनल ओपन जीत चुके है ।

शतरंज का खेल जो आज के इस आधुनिक तेज भागते समय में बच्चो के मानसिक विकास के लिए एक वरदान की तरह है और इसे भारत के हर बच्चे तक पहुंचाने का सपना योगेश नें देखा है ।

साथ ही साथ विश्व भर की चुनौतियों के बीच भारत विविधताए होते हुए भी एकता और मजबूती की मिशाल है इसी बात को रखते हुए इस दौरान वे शतरंज खेल के सभी मोहरे ,बोर्ड और सीखने हेतु किताब भी देश के ग्रामीण इलाको के बच्चो में वितरित कर रहे है  । योगेश गौतम भारत में लगातार 50000 किलो मीटर का सफर तय करेंगे और यह किसी भी एक देश में खेल के प्रसार के लिए सबसे लंबी दूरी तय करने का नया विश्व रिकॉर्ड होगा । इस दौरान वे पहले से ही तय किए कुछ स्कूल मुख्य तौर पर पहुँच से दूर ग्रामीण इलाको में बच्चो के बीच जाकर निःशुल्क खेल के गुर सिखाएँगे और उन्हे शतरंज खेल की सामग्री भी निःशुल्क वितरित करेंगे । यह देश में किसी भी खेल के प्रचार प्रसार का अब तक सबसे बड़ा प्रयास साबित होगा ।

योगेश नें सबसे पहले भारत के सबसे सुंदर स्थान या कहे स्वर्ग कहे जाने वाले पर पहुँचने के लिहाज से सबसे मुश्किल इलाकों में से एक लद्दाख के सुदूर गावों तक इस खेल को पहुंचा कर ऐसा कार्य किया है दरअसल जिसकी कीमत आंकना भी संभव नहीं है । 

शतरंज का खेल मानो अपनी जन्मभूमि के कोने कोने तक इन बच्चो की मुस्कान में महक रहा है 

साथ ही योगेश नें दुनिया की सबसे ऊंची पहाड़ी पर टेक्सी से जाकर एक नया विश्व कीर्तिमान बनाया है उन्होने 5200 मीटर के रिकार्ड को 5340 मीटर पर पहुँच कर या कारनामा किया है देखे ये विडियो 

एक महान कार्य पर योगेश के कदम ! साहस और सदभावना की अनोखी मिशाल है 

क्या इन हसीन वादियों में शतरंज की एक बाजी खेलने के आनंद का अंदाजा भी लगा सकते है आप 

 जैस सूरज भी पीछे से बच्चो संग मुस्करा रहा है !

जहां क्लास लगाने की जगह ना मिली तो छत ही सही 

 ड्रोन कैमरे की मदद से ली गयी शतरंज सिखाते योगेश की तस्वीर 

भारत में आप कहीं भी जाइए हर धर्म के धार्मिक स्थान हमारे भाईचारे की कहानी स्वयं कहते है !

उम्मीद है आप योगेश की कार को खोज पा रहे होंगे अगर नहीं तो इस तस्वीर को सेव करके ज़ूम करके देखे 

  भारतीय शतरंज के प्रमुख शख्सियत में से एक भारत सिंह चौहान जो मौजूदा राष्ट्रमण्डल शतरंज के अध्यक्ष और एशियन संघ के उपाध्यक्ष है वो भी इस प्रयास से बेहद खुश है समर्थन में उन्होने कहा है की “योगेश और उनकी टीम के इस खेल के प्रति जो लगाव है वह सराहे जाने योग्य है । उनका यह प्रयास निश्चित तौर पर खेल के प्रसार में देश में एक नया आयाम स्थापित करेगा

मेरे लिए गर्व का विषय है की मैं योगेश के इस शानदार कार्य में अपनी किताब "शतरंज" के माध्यम से एक छोटा सा सहयोग दे पा रहा हूँ। आप चाहे तो चेसबेस इंडिया शॉप से  "शतरंज "निःशुल्क खरीद सकते है 

ये विडियो आपको इस यात्रा के अनोखे अनुभव काफी हद तक समझाएगा !

योगेश के अब तक के सफर में उनके दोस्त चिराग भटिजा ,हिमाचल से उनके दोस्त संभ्रांत लांबा और सुनील शर्मा नें बखूभी साथ निभाया है 

 फोटोग्राफी के शौकीन योगेश की कुछ तस्वीरे आपको विस्मय से भर देंगी 

 उनकी कार को उन्होने अपने प्रोजेक्ट " ड्राइव फॉर द गेम " के नाम से अनोखे रूप में तैयार किया है  

मुश्किल कोई आ जाये तो पर्वत कोई टकराये तो
बरसे चाहे, अम्बर से आग, लिपटे चाहे, पैरों से नाग -2
पायेगा जो लक्ष्य है तेरा,लक्ष्य को, हर हाल में पाना है !! कुछ ऐसी ही कहानी है योगेश की !!

 

अगर ये स्वर्ग नहीं है तो फिर क्या है ?

 

 

पंजाब केसरी में 24 सितंबर 2016 को प्रकाशित मेरा लेख !

 

अगर आप भी योगेश के इस महान कार्य में अपना सहयोग देना चाहते है या जुड़ना चाहते है तो उनसे संपर्क कर सकते है या उन्हे yogeshgautam31@gmail.com पर ईमेल कर सकते है 


आपका 

निकलेश जैन 

अगर आप हिन्दी मे लेख /रिपोर्ट लिखना चाहते है तो मुझे ईमेल करे 

email address: nikcheckmatechess@gmail.com  

 

 

 


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